“स्त्री का सम्मान करो, क्योंकि वह सृजन की शक्ति है।”
यह बात हम सबने बचपन से सुनी है, पर समझ बहुत कम लोग पाते हैं।
फिल्म Jolly LLB 3 इस सत्य को एक नए अंदाज़ में सामने लाती है — जहां कानून, भावनाओं और इंसानियत का संगम देखने को मिलता है।
💫 जब स्त्री खुश होती है, तो संसार खिल उठता है
कहा गया है — “यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते, रमन्ते तत्र देवता।”
जहां स्त्री का सम्मान होता है, वहां देवता वास करते हैं।
स्त्री वह शक्ति है जो परिवार, समाज और संस्कृति की नींव रखती है।
वह मां है तो दुआ बन जाती है, पत्नी है तो प्रेरणा बन जाती है, और बेटी है तो मुस्कान बन जाती है।
जब वह खुश होती है, तो उसका आशीर्वाद जीवन में सौभाग्य लाता है।
फिल्म में जॉली (अक्षय कुमार) की मुस्कान तब लौटती है जब उसकी पत्नी कोर्ट में आती है —
वह कहता है, “अब मेरा गुड लक आ गया!”
और सच में, उसी पल उसे वह साक्ष्य मिल जाता है जो केस का रुख पलट देता है।
यह दृश्य सिर्फ़ एक संयोग नहीं था, बल्कि एक गहरा संदेश था —
स्त्री की उपस्थिति ही सौभाग्य है।
⚖️ जब स्त्री का अपमान होता है, तो न्याय का चक्र घूमता है
दूसरी तरफ़, फिल्म के पात्र हरी भाई का उदाहरण देखिए।
वह शुरू में एक सम्मानित व्यापारी थे, जो महिलाओं की इज़्ज़त करते थे।
लेकिन समय और पैसे के घमंड ने उनकी सोच को बदल दिया।
उन्होंने एक किसान की बहू पर झूठे आरोप लगाए — और वहीं से उनके पतन की कहानी शुरू हुई।
यह दृश्य सिर्फ़ एक फिल्मी कहानी नहीं, बल्कि एक सच्चाई है —
जब किसी स्त्री का अपमान होता है, तो प्रकृति स्वयं न्याय करती है।
जो पुरुष अपने धन और शक्ति के अहंकार में दूसरों को छोटा समझता है, उसका विनाश निश्चित है।
🕉️ “देवी” — केवल मंदिर में नहीं, हमारे जीवन में भी
हम हर साल नवरात्रि में नौ रूपों की देवी की पूजा करते हैं।
दुर्गा, लक्ष्मी, सरस्वती — ये सब स्त्री शक्ति के प्रतीक हैं।
पर विडंबना यह है कि जिन रूपों की हम आराधना करते हैं,
उन्हीं स्त्रियों का हम समाज में सम्मान करना भूल जाते हैं।
Jolly LLB 3 हमें यह सिखाती है कि
देवी केवल मूर्ति में नहीं,
बल्कि उस स्त्री में भी बसती है जो रोज़ अपने परिवार, समाज और रिश्तों को संभालती है।
वह कभी मां बनकर पोषण करती है,
कभी बहन बनकर मार्गदर्शन देती है,
कभी पत्नी बनकर साथ निभाती है,
और कभी बेटी बनकर खुशियां लाती है।
🌹 जॉली एलएलबी 3 – सिर्फ़ कोर्टरूम ड्रामा नहीं, एक सीख है
इस फिल्म में न्याय की लड़ाई के बीच
एक बहुत गहरा मानवीय संदेश छिपा है —
“कानून से बड़ा है इंसान का विवेक और स्त्री का सम्मान।”
जॉली का केस जीतना सिर्फ़ एक कानूनी जीत नहीं थी,
बल्कि यह उस सोच की जीत थी जो हर स्त्री को सम्मान देती है।
जब जॉली अपनी पत्नी को देखकर कहता है,
“अब मेरा गुड लक आ गया,”
वह असल में यह कह रहा होता है कि
“मेरी शक्ति, मेरी प्रेरणा, मेरी पत्नी है।”
💖 निष्कर्ष: स्त्री का सम्मान ही पुरुष की असली जीत है
फिल्म हमें यही याद दिलाती है कि
दुनिया का हर सुख, हर सफलता, हर समृद्धि
एक स्त्री की मुस्कान से शुरू होती है।
वह जब साथ हो, तो कठिनाइयाँ भी आसान लगती हैं।
और जब दुखी हो जाए, तो जीवन का हर रंग फीका पड़ जाता है।
इसलिए अगर आप सच में सफल होना चाहते हैं —
तो अपने जीवन की स्त्रियों का सम्मान कीजिए।
क्योंकि सच कहा गया है —
“स्त्री खुश तो जीवन खुश,
स्त्री रोई तो भाग्य भी सो गया।”
✨ “Jolly LLB 3” हमें यह सिखाती है कि —
पैसा और शक्ति नहीं, बल्कि स्त्री का सम्मान ही असली सौभाग्य है।
देवी मंदिर में नहीं, हमारे व्यवहार में बसती है।